Wednesday, 16 May 2018

अजमेर के चौहान

                            अजमेर के चौहान
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 चौहान का शाब्दिक अर्थ - चा ह मा न - ऐसा व्यक्ति जो नीति शास्त्र और धनुर्विधा मे पारंगत हो

उत्पत्ति - पृथ्वी राज रासौ के अनुसार अग्नि कुंड से,
   बिजौलियाँ शिलालेख के अनुसार वत्स ऋषि की आँख से,
डॉ दशरथ शर्मा व जान कवि (कायम खा रासौ) ने अजमेर के चौहान को ब्राह्मण वंश का बताया है, मुहणौत नैणसी सुर्यमल्ल मिश्रण व चन्दरबरदाई ने चौहानो को अग्निवंशीय बताया है, जयानक नयन चंद्र सूरी तथा नरपति नाल्ह ने इन्हें सुर्य वंशी कहा है


संस्थापक - वासुदेव चौहान 551 ई अहिच्छत्रपुर नागौर
                सांभर झील का निर्माता (बिजौलियाँ शिलालेख के अनुसार)

#सिंहराज- चौहानो का प्रथम स्वतंत्र शासक

#गुवक प्रथम - नाग भट्ट द्वितीय का सामंत
                सीकर मे हर्ष नाथ मंदिर का निर्माता

#अजयपाल - 7 वी शताब्दी में अजमेर की नीव रखी

#अजयराज - 1113 ईस्वी में अजमेर को अपनी राजधानी बनाया और अजयमेरु दुर्ग का निर्माण करवाया

#अर्णोराज - देव बोध, व धर्मघोष इसके दरबारी विद्वान थे इसने अजमेर में आना सागर झील व पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया इसकी हत्या इसके पुत्र जगदेव के द्वारा की गई जगदेव को चौहानो का पिर्तृहन्ता कहा जाता है

         विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) 1153-63
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उपाधि - कवि बांधव
जानकारी - सोमदेव की पुस्तक ललित विग्रह राज
               नरपति नाल्ह की पुस्तक बीसलदेव रासौ
              विग्रह राज चतुर्थ द्वारा रचित नाटक हरि केली

- बीसलदेव ने टोंक में बीसलपुर बाँध व अजमेर में बीसलसर झील का निर्माण करवाया
- विग्रह राज चतुर्थ ने सरस्वती कंठाभरण नामक संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया जिसे कुतुबदीन ऐबक ने ढाई दिन के झोपड़े में बदल दिया वर्तमान में यहां पंजाब शाह नामक पीर का ढाई दिन का उर्स का आयोजन होता है
- विग्रह राज चतुर्थ का काल अजमेर के चौहानौ का स्वर्णिम काल माना जाता है यह धार्मिक रूप से सहिष्णु था और इसने कई धर्म के विद्वानों को अपने यहां शरण दी थी विग्रह राज चतुर्थ ने धर्म घोष सूरी के कहने पर अपने क्षेत्र में पशु हत्या पर पाबंदी लगा दी थी किलहोर्न ने विग्रह राज चतुर्थ की तुलना कालिदास से की है दिल्ली से प्राप्त शिवालिक अभिलेख के अनुसार विग्रह राज चतुर्थ ने पश्चिमी भारत के शासक खुसरव शाह को पराजित करके पंजाब व उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था
- विग्रह राज द्वारा रचित नाटक भारवि की पुस्तक किरतार्जृनीयम पर आधारित है हरि केली की कुछ पंक्तियाँ इंग्लैंड में स्थित ब्रिस्टल नामक स्थान पर राजा राममोहन राय की समाधि पर उत्कीर्ण है
- जहाँगीर ने वराह मंदिर की मूर्तियों को तुड़वाया था और वहां दौलत बाग उधान लगवाया था जो कि वर्तमान में सुभाष उधान के नाम से जाना जाता है नूरजहाँ की माता अस्मत बेगम ने यहां इत्र बनाने की विधि का अविष्कार किया था


                    पृथ्वीराज चौहान 3 (1166-92)
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अन्य नाम - राय पिथौरा(तेज़ी से युद्ध को जीतने वाला)
                दल पुंगल (विश्व विजेता)

जनम - 1166 अन्हिलपाटन (गुजरात)
पिता - सोमेश्वर चौहान
माता - कर्पूर देवी (दिल्ली के अनंगपाल तोमर की पुत्री)
पुत्र - गोविंद राज चौहान
भाई - हर राज
प्रधानमंत्री - कैमास/कदम्बवास
सेनापति - भुवनमल्ल
घोड़ी का नाम - नाट्यरंभा

दरबारी विद्वान - जयानक, विद्या पति गौड़, विश्व रूप, चन्दरबरदाई, वागीश्वर

नागार्जुन के विद्रोह का दमन - नागार्जुन पृथ्वीराज चौहान का चचेरा भाई था उसने दिल्ली व गुडग़ांव के क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था पृथ्वीराज चौहान के प्रधान मंत्री कैमास ने नागार्जुन के साथ 1178 में गुडग़ांव का युद्ध लडा और नागार्जुन के विद्रोह का दमन किया

भंडानक जाति के विद्रोह का दमन - पृथ्वीराज चौहान के आसपास के क्षेत्रों पर भंडानक जाति ने विद्रोह कर दिया था अत पृथ्वीराज चौहान ने अपने सेनापति भुवनमल्ल की सहायता से इस विद्रोह का दमन किया

महोबा विजय (1182) - चंदेल वंशी शासक परमार्दिदेव ने पृथ्वीराज चौहान के सैनिकों की हत्या कर दी थी अत पृथ्वीराज ने परमार्दिदेव के सेनापति आल्हा व उदल के साथ तुमुल का युद्ध लडा जिसमे पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ और उसने महोबा व उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया

चौहान चालुक्य संघर्ष (1187) - पृथ्वीराज चौहान के काल मेंग गुजरात में चालुक्य शासक भीम द्वितीय का शासन था भीम द्वितीय परमार राजकुमारी इच्छिणी देवी से विवाह करना चाहता था परन्तु पृथ्वीराज चौहान ने इच्छिणी देवी से विवाह कर लिया इस कारण चौहान चालुक्य संघर्ष हुआ जिसमे पृथ्वीराज चौहान को सफलता मिली और पृथ्वीराज चौहान ने गुजरात के आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया

तराईन का प्रथम युद्ध (1191) - तराईन वर्तमान में हरियाणा के करनाल नामक स्थान पर है तराईन को तरावडीं का मैदान भी कहा जाता है गौरी ने पृथ्वीराज चौहान के क्षेत्र तँवर हिन्द पर अधिकार कर लिया था जो कि तराईन के प्रथम युद्ध का प्रमुख कारण माना जाता है इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई और पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को माफ कर दिया हम्मीर महाकाव्य के अनुसार पृथ्वीराज चौहान व मोहम्मद गौरी के बीच 7 बार संघर्ष हुआ था जबकि पृथ्वीराज रासौ के अनुसार दोनों के बीच 21 बार संघर्ष हुआ

तराईन का द्वितीय युद्ध (1192) - गौरी ने अपने सेनापति किवाम उल मुल्क को पृथ्वीराज चौहान के पास संधि करने के लिए भेजा और पृथ्वीराज चौहान के सेनापति प्रताप सिंह और अश्वसिंह को अपनी ओर मिला लिया इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की विजय हुई और दिल्ली व अजमेर से चौहानो की सत्ता समाप्त हो गई

- पृथ्वीराज के पुत्र गोविंद राज ने गौरी से धन के बदले में अजमेर का क्षेत्र प्राप्त किया गोविंद राज को अजमेर से हरराज द्वारा निष्कासित कर दिया गया गोविंद राज ने 1194 में रणथम्भौर मे चौहान वंश की एक नवीन शाखा की स्थापना की

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