Monday, 23 April 2018

गुर्जर प्रतिहार पार्ट 2

दोस्तों आपने पिछली पोस्ट में गुर्जर प्रतिहारो की उत्पत्ति के बारे में अध्ययन किया आज हम गुर्जर प्रतिहारो के शासकों के बारे में अध्ययन करेंगे तो चलो शुरु करते हैं

                         नागभट्ट प्रथम
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उपाधि - मलेच्छो/हुणो का नाशक
          - नागावलोक
          - नारायण की मूर्ति का प्रतीक

- भीनमानल (जालोर) के गुर्जर प्रतिहारो का संस्थापक नाग भट्ट प्रथम को माना जाता है इसने उज्जैयिनी को अपनी दूसरी राजधानी के रूप में स्थापित किया जो कि शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र थी
- नाग भट्ट प्रथम के द्वारा उज्जैन मे हिरण्य गर्भदान यज्ञ पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए किया गया एहोल अभिलेख में नाग भट्ट प्रथम को गुर्जर प्रतिहारो का वास्तविक संस्थापक माना गया है
- मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में नाग भट्ट पप्रथम को मलेच्छो का नाशक कहा गया है

                               वत्सराज
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उपाधि - जय वराह (दुग्गल नामक बृह्ममण ने)
          -   रणहस्तिन (युद्ध का हाथी)

वत्स राज के काल में त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत हुई वत्सराज ने कन्नौज के शासक इन्द्रायुध व बंगाल के शासक धर्म पाल को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार कर लिया परंतु राष्ट्रकुट शासक दंतिदुर्ग ने वत्सराज को पराजित कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया इस प्रकार पहली बार कन्नौज वत्सराज के काल गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ और वत्सराज के काल में ही कन्नौज गुर्जर प्रतिहारो के हाथ से निकल भी गया वत्सराज शैव धर्म को मानता था वत्सराज के काल में जोधपुर के ओसिंयाँ नामक स्थान पर महावीर स्वामी के मंदिर का निर्माण हुआ यह मंदिर पश्चिम भारत का सबसे प्राचीन जैन मंदिर माना जाता है वत्सराज के काल में उधोतन सुरि के द्वारा कुवलयमाला व जिनसेन सुरि  के द्वारा हरिवंश पुराण नामक पुस्तकों की रचना हुई संस्कृत भाषा में वली प्रबंध नामक लेख की भी रचना की गई जिससे सती प्रथा की जानकारी प्राप्त होती है


                            नागभट्ट द्वितीय
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उपाधि - महाराजाधिराज
          - परमेशवर
          - परमभट्टारक

मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति मे नाग भट्ट द्वितीय को करण कहा गया है नाग भट्ट द्वितीय के काल में बुचकला नामक स्थान पर शिव पार्वती व विष्णु मंदिर का निर्माण हुआ नाग भट्ट द्वितीय ने गंगा में जल समाधि ले ली थी नाग भट्ट द्वितीय के बाद राम भद्र गुर्जर प्रतिहार शासक बना राम भद्र की हत्या उसके पुत्र मिहिर भोज के द्वारा कर दी गई मिहिर भोज को गुर्जर प्रतिहारो का पिर्तृहन्ता कहा जाता है


                       मिहिर भोज (सूर्य का प्रतीक)
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जानकारी के स्त्रोत - मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति
                         - मिहिर भोज की सागर ताल प्रशस्ति
                         - उतर प्रदेश से प्राप्त बगृआ अभिलेख
   उपाधि - आदि वराह
             - प्रभास पाटन

बग्रंआ अभिलेख में मिहिर भोज को पृथ्वी को जीतने वाला कहा गया है मिहिर भोज के द्वारा तांबे व चांदी के सिक्के चलाये गये जिन पर श्रीमदआदिवराह अंकित कराया गया मिहिर भोज के काल में अरब यात्री सुलेमान ने भारत की यात्रा की थी सुलेमान मिहिर भोज को मुसलमानों का कट्टर शत्रु कहता है क्यूकि मिहिर भोज ने ताजिए निकाले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था


                            महेंद्र पाल प्रथम
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उपाधि - निर्भय नरेश
          - रघुकुल चुडांमणि

महेंद्र पाल प्रथम के दरबार में राजशेखर नामक विद्वान निवास करता था जिसके द्वारा निम्न पुस्तकों की रचना की गयी
काव्यमीमांसा, विशालभंजिका, भुवन कोष, हर विलास, बाल रामायण, कर्पूर मंजरी
राजशेखर महिपाल प्रथम के भी दरबारी विद्वान थे


                            महिपाल प्रथम
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उपाधि - रघुकुल मुकुट मणि, आर्यर्वृत का महाराजाधिराज

महिपाल प्रथम के काल में कन्नौज अंतिम रूप से गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ इसके काल में बगदाद निवासी अलमसूदी ने भारत की यात्रा की अलमसूदी गुर्जर प्रतिहारो के क्षेत्र को अल गुर्जर व राजा को बौरा कहता है



- गुर्जर प्रतिहार शासक त्रिलोचन पाल के काल में महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण हुआ
- गुर्जर प्रतिहारो का अंतिम शासक यशपाल को माना जाता है

- हेनसांग को यात्रियों का राजकुमार भी कहा जाता है राजस्थान में हेनसांग ने सर्वप्रथम भीनमाल की यात्रा की थी हेनसांग ने गुर्जर राज्य को कु चे लो और राजधानी को पीलोमोलो कहा है



दोस्तों आज ये गुर्जर प्रतिहार टॉपिक यही समाप्त होता है आशा करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई अन्य जानकारी की तरह यह पोस्ट भी आपको अच्छी लगेगी अगर आपको mमेरे द्वारा दी गई जानकारी उपयोगी लगती है तो प्लीज mमेरे पेज एजुकेशन अड्डा को लाइक और शेयर करे 

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