Sunday, 15 April 2018

राजस्थान में चित्रकला

दोस्तो आज हम राजस्थान की चित्रकला के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे क्यूकि दोस्तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है और राजस्थान पुलिस और वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के सलेबस में भी शामिल हैं
                     राजस्थान मे चित्रकला
महाराणा कुंभा को राजस्थानी चित्रकला का जनक माना जाता है आनंद कुमार स्वामी ने अपनी पुस्तक  'राजपूत पेंटिंग' में सबसे पहले राजस्थानी चित्रकला(का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन) शब्द का प्रयोग किया राजस्थानी चित्रकला के सबसे प्राचीन चित्रित ग्रंथ अधोर्नियुक्ति व दस वैकल्पिक सूत्र माने जाते हैं दोनों उपरोक्त ग्रंथ वर्तमान में जैसलमेर ग्रंथ भंडार में रखे हुए हैं राजस्थानी चित्रशैली पर गुजरात शैली का प्रभाव है
राजस्थान की चित्र शैली को चार विभिन्न स्कूल मे विभाजित किया गया है
1. मेवाड़ चित्र शैली
2. मारवाड़ चित्र शैली
3. ढूढाँड चित्र शैली
4. हाड़ौती चित्र शैली
                      मेवाड़ चित्र शैली
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विषय - कृष्ण भक्ति      नायिका - विप्रलब्धा
रंग - नीला और हरा      नायिका का नेत्र - मीन सदृश्य
पेड - कदम्ब
(अ) उदयपुर चित्र शैली - 
- मेवाड़ चित्र शैली का प्रथम चित्रित ग्रंथ श्रावक प्रतिकर्मण सुत्र चुर्णि को माना जाता है जिसके चित्र कमल चंद के द्वारा बनाये गये 
- मोकल के काल मे सुपारश्ववनाथ चरित्रम नामक चित्रित ग्रंथ की रचना हुई जिसके चित्र हीरा नंद के द्वारा बनाए गए वर्तमान में ये दोनों ग्रंथ उदयपुर में सरस्वती संग्रहालय में रखे गए हैं 
- मेवाड़ चित्र शैली के प्रथम चित्रकार श्रृंगधर थे 
- जगत सिंह का काल उदयपुर चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है इनके काल मे राग माला, रसिक प्रिया, व भगववत पुराण नामक ग्रंथों पर चित्र बनाये गये
- जगत सिंह के काल मे साहिब दीन व मनोहर नामक चित्रकार हुए
- संग्राम सिंह 2 के काल मे विष्णु शर्मा की पुस्तक पंचतंत्र की कहानियों पर चित्र बनाये गये संग्राम सिंह 2 के काल में नुरूदीन नामक चित्रकार द्वारा चित्र बनाये गये

(ब) नाथद्वारा/पिछवाई चित्र शैली -
- राजसिंह का काल स्वर्णिम काल
-इस चित्र शैली में एकादशी महात्म्य व मालती माधव नामक ग्रंथों पर चित्र बनाये गये नाथद्वारा चित्र शैली में कमला व इलाइची नामक महिला चितेरियो द्वारा भी चित्र बनाये गये इस शैली में भगवान श्रीकृष्ण व माता यशोदा के चित्र भी बनाये गये

(स) चावण्ड चित्र शैली -
- अमरसिंह का काल इस चित्र शैली का स्वर्ण काल माना जाता है
- निसार दीन के द्वारा अमरसिंह के काल में राग माला नामक चित्र बनाया गया
- चावण्ड चित्र शैली की सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति ढोला मारू को माना जाता है


(द) देवगढ चित्र शैली -
- इस शैली में चावण्ड और मारवाड़ चित्र शैली का प्रभाव दिखाई देता है द्वारिका दास के द्वारा देवगढ ठिकाने की स्थापना की गई और इन्ही के काल में इस चित्र शैली का विकास हुआ
- बैजनाथ व कमला इस चित्र शैली के प्रमुख चित्र कार माने जाते हैं
-  कलीला व दमना जैसी प्रसिद्ध कृतियां इसी शैली में है
- प्रमुख कलाकार साहिब दीन, मनोहर, कृपा राम, जीवा


                           मुख्य तथ्य
 श्रृंगधर - मेवाड़ चित्र शैली का प्रथम चित्र कार
साहिब दीन - राग माला सेट, शूकर क्षेत्र महात्म्य
निसार दीन - चावण्ड शैली में राग माला

दोस्तो आने वाली अगली पोस्ट में मै राजस्थान की चित्र कला के संपूर्ण टॉपिक को कवर करने की कोशिश करूँगा और अंत में इस टॉपिक से संबंधित महत्वपूर्ण क्वेश्चन भी शेयर करूंगा ताकि ये आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सके अतः आपसे निवेदन है कि आप अगर आपको मेरी पोस्ट अच्छी लगती है तो कृपया करके इसे शेयर और लाइक जरूर करे 

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