Monday, 23 April 2018

गुर्जर प्रतिहार पार्ट 2

दोस्तों आपने पिछली पोस्ट में गुर्जर प्रतिहारो की उत्पत्ति के बारे में अध्ययन किया आज हम गुर्जर प्रतिहारो के शासकों के बारे में अध्ययन करेंगे तो चलो शुरु करते हैं

                         नागभट्ट प्रथम
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उपाधि - मलेच्छो/हुणो का नाशक
          - नागावलोक
          - नारायण की मूर्ति का प्रतीक

- भीनमानल (जालोर) के गुर्जर प्रतिहारो का संस्थापक नाग भट्ट प्रथम को माना जाता है इसने उज्जैयिनी को अपनी दूसरी राजधानी के रूप में स्थापित किया जो कि शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र थी
- नाग भट्ट प्रथम के द्वारा उज्जैन मे हिरण्य गर्भदान यज्ञ पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए किया गया एहोल अभिलेख में नाग भट्ट प्रथम को गुर्जर प्रतिहारो का वास्तविक संस्थापक माना गया है
- मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में नाग भट्ट पप्रथम को मलेच्छो का नाशक कहा गया है

                               वत्सराज
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उपाधि - जय वराह (दुग्गल नामक बृह्ममण ने)
          -   रणहस्तिन (युद्ध का हाथी)

वत्स राज के काल में त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत हुई वत्सराज ने कन्नौज के शासक इन्द्रायुध व बंगाल के शासक धर्म पाल को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार कर लिया परंतु राष्ट्रकुट शासक दंतिदुर्ग ने वत्सराज को पराजित कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया इस प्रकार पहली बार कन्नौज वत्सराज के काल गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ और वत्सराज के काल में ही कन्नौज गुर्जर प्रतिहारो के हाथ से निकल भी गया वत्सराज शैव धर्म को मानता था वत्सराज के काल में जोधपुर के ओसिंयाँ नामक स्थान पर महावीर स्वामी के मंदिर का निर्माण हुआ यह मंदिर पश्चिम भारत का सबसे प्राचीन जैन मंदिर माना जाता है वत्सराज के काल में उधोतन सुरि के द्वारा कुवलयमाला व जिनसेन सुरि  के द्वारा हरिवंश पुराण नामक पुस्तकों की रचना हुई संस्कृत भाषा में वली प्रबंध नामक लेख की भी रचना की गई जिससे सती प्रथा की जानकारी प्राप्त होती है


                            नागभट्ट द्वितीय
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उपाधि - महाराजाधिराज
          - परमेशवर
          - परमभट्टारक

मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति मे नाग भट्ट द्वितीय को करण कहा गया है नाग भट्ट द्वितीय के काल में बुचकला नामक स्थान पर शिव पार्वती व विष्णु मंदिर का निर्माण हुआ नाग भट्ट द्वितीय ने गंगा में जल समाधि ले ली थी नाग भट्ट द्वितीय के बाद राम भद्र गुर्जर प्रतिहार शासक बना राम भद्र की हत्या उसके पुत्र मिहिर भोज के द्वारा कर दी गई मिहिर भोज को गुर्जर प्रतिहारो का पिर्तृहन्ता कहा जाता है


                       मिहिर भोज (सूर्य का प्रतीक)
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जानकारी के स्त्रोत - मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति
                         - मिहिर भोज की सागर ताल प्रशस्ति
                         - उतर प्रदेश से प्राप्त बगृआ अभिलेख
   उपाधि - आदि वराह
             - प्रभास पाटन

बग्रंआ अभिलेख में मिहिर भोज को पृथ्वी को जीतने वाला कहा गया है मिहिर भोज के द्वारा तांबे व चांदी के सिक्के चलाये गये जिन पर श्रीमदआदिवराह अंकित कराया गया मिहिर भोज के काल में अरब यात्री सुलेमान ने भारत की यात्रा की थी सुलेमान मिहिर भोज को मुसलमानों का कट्टर शत्रु कहता है क्यूकि मिहिर भोज ने ताजिए निकाले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था


                            महेंद्र पाल प्रथम
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उपाधि - निर्भय नरेश
          - रघुकुल चुडांमणि

महेंद्र पाल प्रथम के दरबार में राजशेखर नामक विद्वान निवास करता था जिसके द्वारा निम्न पुस्तकों की रचना की गयी
काव्यमीमांसा, विशालभंजिका, भुवन कोष, हर विलास, बाल रामायण, कर्पूर मंजरी
राजशेखर महिपाल प्रथम के भी दरबारी विद्वान थे


                            महिपाल प्रथम
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उपाधि - रघुकुल मुकुट मणि, आर्यर्वृत का महाराजाधिराज

महिपाल प्रथम के काल में कन्नौज अंतिम रूप से गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ इसके काल में बगदाद निवासी अलमसूदी ने भारत की यात्रा की अलमसूदी गुर्जर प्रतिहारो के क्षेत्र को अल गुर्जर व राजा को बौरा कहता है



- गुर्जर प्रतिहार शासक त्रिलोचन पाल के काल में महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण हुआ
- गुर्जर प्रतिहारो का अंतिम शासक यशपाल को माना जाता है

- हेनसांग को यात्रियों का राजकुमार भी कहा जाता है राजस्थान में हेनसांग ने सर्वप्रथम भीनमाल की यात्रा की थी हेनसांग ने गुर्जर राज्य को कु चे लो और राजधानी को पीलोमोलो कहा है



दोस्तों आज ये गुर्जर प्रतिहार टॉपिक यही समाप्त होता है आशा करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई अन्य जानकारी की तरह यह पोस्ट भी आपको अच्छी लगेगी अगर आपको mमेरे द्वारा दी गई जानकारी उपयोगी लगती है तो प्लीज mमेरे पेज एजुकेशन अड्डा को लाइक और शेयर करे 

Thursday, 19 April 2018

गुर्जर प्रतिहार पार्ट 1

                      गुर्जर प्रतिहार(700-1200 AD)
- गुर्जरात्रा प्रदेश में रहने के कारण गुर्जर कहलाये विदेशी आक्रमण के समय द्वारपाल की भूमिका निभाई इस कारण प्रतिहार कहलाये
उत्पति - 
- पृथ्वी राज रासौ के अनुसार गुरु वसिष्ठ के अग्नि कुंड से 
- हेँनसांग के अनुसार क्षत्रिय 
- जेम्स टाँड के अनुसार खाजर नामक जाति से 
मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में इन्हे राम के भाई लक्ष्मण का अवतार बताया गया है 
- डॉ rc मजूमदार के गुर्जर एक भौगोलिक शब्द था जबकि प्रतिहार एक जाति से संबंधित 
- पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में पहली बार गुर्जर शब्द का उल्लेख मिलता है 
- मुहणौत नैणसी के अनुसार गुर्जर प्रतिहारो की कुल 26 शाखा थी जिनमे दो महत्वपूर्ण थी 
1. मंडोर के गुर्जर प्रतिहार 
2. भीन माल  के गुर्जर प्रतिहार 

- जोधपुर से प्राप्त घटियाला शिलालेख मे हरिश्चन्द्र को गुर्जर प्रतिहारो का आदि पुरुष और संस्थापक माना है 



 गुर्जर प्रतिहारो के काल को राजपूत काल या सामंत काल भी कहा जाता है
- घटियाला शिलालेख के अनुसार गुर्जर प्रतिहारो का संस्थापक हरिश्चंद्र(रोहलध्दि) था इन्होंने दो विवाह किए थे एक ब्राह्मण स्त्री से व दूसरा क्षत्रिय (भद्रा) से इनके चार पुत्र हुए रज्जिल, दह, भोगभट्ट, कदक
- रज्जिल ने मंडोर को अपनी राजधानी बनाया रज्जिल के दरबारी ब्राह्मण नरहरि ने रज्जिल को राजा की उपाधि दी गयी थी रज्जिल के द्वारा राजसुय यज्ञ भी किया गया था रज्जिल के बाद नरभट्ट प्रतिहार शासक बना इसे गुरु और ब्राह्मणों का संरक्षक कहा जाता है हेनसांग के यात्रा वृत्तांत से नरभट्ट के बारे में जानकारी प्राप्त होती है हेनसांग ने नरभट्ट को पेल्लो पल्ली (ब्राह्मणों व गुरुओं का संरक्षक) कहा है 

त्रिपक्षीय संघर्ष -
यह संघर्ष प्रतिहार, पाल और राष्टट्रकुटो के बीच हुआ यह संघर्ष कन्नौज पर अधिकार करने के लिए प्रारम्भ हुआ
- प्रतिहार शासक वत्स राज ने सबसे पहले कन्नौज पर आक्रमण किया उस समय वहां का शासक इन्दद्रायुध था कन्नौज अंतिम रूप से गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ 

कन्नौज - इन्दद्रायुध, चक्रायुध

प्रतिहार - नाग भट्ट 1,वत्स राज, नाग भट्ट 2,मिहिर भोज, महेन्द्र पाल 1,महिपाल 1,

पाल वंश - गोपाल, धर्म पाल, देव पाल 

राष्ट्रकुट- दंतिदुर्ग, ध्रुव, गोविंद 3,कृष्ण 3, इन्द्र 3





Tuesday, 17 April 2018

राजस्थान में चित्रकला पार्ट 3

दोस्तों आपने पिछली पोस्टों मे राजस्थान की चित्रकला के मेवाड़ चित्र शैली और मारवाड़ चित्र शैली के बारे में अध्ययन किया आज हम इसी टॉपिक के अन्तर्गत ढुँढाड चित्र शैली एवं हाड़ौती चित्र शैली के बारे में चर्चा करेंगे
                      ढुँढाड चित्र शैली
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विषय - उधानो के चित्र
           हाथियों के चित्र
           कृष्ण भक्ति से संबंधित
रँग - नीला, हरा, लाल
पेड - पीपल और वट वृक्ष
नायिका का प्रकार - रूप गर्विता
नायिका नेत्र - मीन सदृश
- प्रताप सिंह का काल ढुँढाड चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है
- आदम कद चित्र इस शैली की मुख्य विशेषता है साहिब राम के द्वारा ढुँढाड चित्र शैली में ईश्वरी सिंह का आदम कद चित्र बनाया गया
- प्रताप सिंह का काल अलवर चित्र शैली का भी स्वर्णिम काल माना जाता है
- अलवर चित्र शैली में गणिकाओ के चित्र विशेष रूप से प्रसिद्ध है
- मुलचंद को अलवर चित्र शैली का प्रमुख चित्रकार माना जाता है
- चित्रकला के विकास हेतु कार्यरत संस्थान आयमा व कलावृंत जयपुर जिले में स्थित है
- राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स (मदरसा हुनरी) सवाई रामसिंह के द्वारा स्थापित किया गया
- पोथी खाना संग्रहालय भी जयपुर में ही स्थित है
                      हाड़ौती चित्र शैली
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रँग - नीला और हरा
पेड - खजूर
-राव सुर्जन सिंह के काल इस चित्र शैली की शुरुआत हुई
- उम्मेद सिंह का काल इस शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है
- इस चित्र शैली की मुख्य विशेषता भित्ति चित्रकला है भित्ति चित्रकला को फ्रेस्को पेंटिंग के नाम से भी जाना जाता है इसकी शुरुआत अकबर के काल से मानी जाती है
- बूंदी चित्र शैली में पशु पक्षियों से संबंधित तथा कोटा चित्र शैली में आखेट से संबंधित चित्र बनाये गये
- कोटा चित्र शैली में वल्लभ सम्प्रदाय से संबंधित चित्र भी बनाये गये
- डालू हाड़ौती चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार माने गए हैं
राव छत्रशाल के काल में भित्ति चित्रों से सज्जित रँग महल का निर्माण किया गया
- हाड़ौती चित्र शैली में सोने चांदी का प्रयोग किया गया था
हाड़ौती चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार - रामलाल, अली रज़ा, हसन, सुर्जन, अहमद ali, रघुनाथ, गोविंद राम आदि
दोस्तों मैंने अपने तीनों पोस्टों मे राजस्थान की चित्रकला
का संपूर्ण विश्लेषण किया है 
अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगती है तो प्लीज मेरे फेसबुक पेज को लाइक करे और शेयर करे ताकि आपको लेटस्ट अपडेट मिलती रहे फेसबुक पेज का लिंक नीचे दिया गया है

Monday, 16 April 2018

राजस्थान में चित्रकला पार्ट - 2

दोस्तों आपने एजुकेशन अड्डा की पिछली पोस्ट में राजस्थान की चित्रकला के बारे में पढ़ा जिसमे हमने मेवाड़ चित्र शैली के बारे में अध्ययन किया आज हम इसी टॉपिक के अन्दर मारवाड़ चित्र शैली का अध्ययन करेंगे चलो शुरुआत करते हैं

                         मारवाड़ चित्र शैली
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प्रमुख रँग - लाल, पीला, भूरा    नायिका - प्रसोषित पातिका
                                                         (पति विदेश में)
पेड - आम                            नायिका नेत्र - बादामी
प्रमुख पशु - ऊंट

- राव जोधा के काल में मारवाड़ चित्र शैली का सबसे अधिक विकास हुआ जबकि राव माल देव के काल में सबसे अधिक चित्र बनाये गये
-मारवाड़ चित्र शैली का प्रमुख चित्रित ग्रंथ 'उतराध्यान सूत्र को माना जाता है
- अमर दास, छज्जु भाटी, व किशन दास इस चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार माने जाते हैं
- पृथ्वी राज राठौड़ कृत वेलि कृष्ण रुक्मिणी री के चित्र मारवाड़ चित्र शैली में बनाये गये
- यह शैली नाथ सम्प्रदाय से संबंधित है


(अ) बीकानेर चित्र शैली -
-राय सिंह के काल में इस चित्र शैली का विकास हुआ
- अनूप सिंह का काल इस चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है
- इस शैली के चित्रकारों ने अपने बनाये गये चित्रों में अपना नाम व चित्र बनाने की तिथि का अंकन किया है

उस्ताँकला- ऊँट के खाल पर  की जाने वाली चित्रकारी को उस्ताँकला कहा जाता है और इस कला के कलाकार को उस्ताद कहा जाता है हिसामुदीन, चन्दू व मुकुंद लाल इस कला के कलाकार माने जाते हैं

(ब) बणी ठणी / किशनगढ चित्र शैली -
अन्य नाम - वेसरि (नाक का आभूषण)
              - वसली      नायिका का प्रकार - स्वाधीन भर्तृका
              - कागजी     नायिका नेत्र - कमान नुमा
              - काँगडा
रँग - गुलाबी और सफेद
     - भँवरे का चित्र

- इस चित्र शैली का मूल चित्र मोरध्वज निहालचंद ने बनाया था
- एरिक डिकिसंन ने इसे भारत की मोनालिसा कहा है
- भारत सरकार द्वारा 1972 में बणी ठणी के चित्र पर 20 पैसे का डाक टिकट जारी किया
- नागरी दास इस शैली का प्रमुख चित्रकार माना जाता है
- किशन गढ चित्र शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ एरिक डिकिसंन व डॉ फैय्याज अली को जाता है

(स) जैसलमेर चित्र शैली -
- लोद्रवा की राजकुमारी मूमल के चित्र इसी शैली में बनाये गये
- मूलराज 2 का काल इस चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है

- चोखा महल (जोधपुर) मारवाड़ चित्र शैली व लोक जन जीवन के चित्रों की अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध है

दोस्तों आज की पोस्ट में इतना ही आगे आने वाली पोस्ट में हम इसके अगले भागों का अध्ययन करेंगे दोस्तों अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगती है तो प्लीज मेरे फेसबुक पेज को लाइक करे कमेंट करे, शेयर करे पेज का लिंक नीचे दिया गया है

Education adda

Sunday, 15 April 2018

सेकंड ग्रेड परीक्षा 2018 के अभ्यर्थियों के लिए

दोस्तो एक बार फिर से मै आप सब के बीच हाज़िर हूँ आपके लिये कुछ नयी जानकारी के साथ तो दोस्तो जिन भाइयों ने 2016 मे सेकंड ग्रेड का एक्जाम दिया था और उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया था उनके लिये खूशखबरी है कि आरपीएससी ने बहुप्रतीक्षित सेकंड ग्रेड परीक्षा 2016 का विज्ञप्ति जारी कर दी है और दोस्तों अबकी बार यह परीक्षा 8000 से भी अधिक पदों के लिए होने वाली है अतः अबकी बार उन भाइयों के लिए सुनहरा मौका है जो पिछली परीक्षा में कुछ ही अंकों से सिलेक्शन से दूर हो गए थे अतः दोस्तों अबकी बार आपको थोड़ा आत्मचिंतन करने की जरूरत है ताकि आपको पता चल सके कि पिछली बार आपसे क्या गलतियाँ हुई थी जिनकी वजह से आप सफलता पाने से वंचित रह गए थे ओर जो भाई पहली बार ये एक्जाम दे रहे हैं उनको बिना समय गंवाए अभी से तैयारी में जुट जाना चाहिए क्योंकि दोस्तों जबान से निकला हुआ शब्द और बीता हुआ वक्त कभी भी लौट कर नहीं आता दोस्तों आज का युग कॉम्पिटिशन का युग है और जो सबसे बेहतर होगा वो ही जीतकर आएगा और दोस्तों मै ये मानता हूँ कि जन्म से कोई पर्फेक्ट नहीं होता है अपने आप को बेहतर बनाना पड़ता है कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के द्वारा दोस्तों अगर एक बार आपने सोच लिया कि मुझे ये कार्य करना है तो पूरी जी जान से उस कार्य को करने के लिए जुट जाओ और फिर देखो कि दुनिया की कोई ताकत आपको अपने लक्ष्य को हासिल करने से नहीं रोक सकती तो जिन भाइयों ने पिछली बार सेकंड ग्रेड का एक्जाम दिया था और उसके लिए कोचिंग की थी तो दोस्तों मै नही समझता कि आपको दुबारा कोचिंग करने की जरूरत है आपके पास शायद पूरा स्टडी मैटर होगा तैयारी करने के लिए अत: आपको निसंदेह स्व अध्याय प्रारंभ कर देना चाहिए और पिछली बार जो आपके वीक पॉइंट थे उन पर आपको दुगनी मेहनत करनी चाहिए दोस्तों सामाजिक विज्ञान के अभ्यर्थियों ने पिछले एक्जाम मे शायद महसूस किया होगा कि आपको अर्थशास्त्र, लोक प्रशासन, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र जैसे विषयों में कम मार्क्स आये होंगे तो दोस्तों हम सभी के साथ यही होता है हम सोचते हैं कि इन सब्जेक्ट मे जितनी हमारी पकड़ है उतनी ही सबकी होगी लेकिन दोस्तों ये ही सब्जेक्ट ऐसे है जिनसे हम दूसरे अभ्यर्थियों से बढत बना सकते हैं अगर आपको सामाजिक विषय से सफलता प्राप्त करनी है तो आपको इन सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ बनाना जरूरी है

क्योंकि दोस्तों अगर एक ऐसा क्वेश्चन जो सबको आता है और आपको नहीं आता तो आप लाखों अभ्यर्थियों से पीछे हो जायेंगे और एक ऐसा क्वेश्चन जो आपको आता है और लोगों को नहीं आता है तो वो एक क्वेश्चन आपको लाखों अभ्यर्थियों से आगे कर देगा तो दोस्तों ध्यान देने वाली बात है कि भूगोल, इतिहास, राजनीति विज्ञान जैसे सब्जेक्ट मे ज्यादातर लोगों की पकड़ अच्छी होती है अतः आपको उन सब्जेक्ट पर ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत है है जिनमे आप कमजोर या औसत है

जो भाई पहली बार सेकंड ग्रेड एक्जाम की तैयारी कर रहे हैं या दे रहे हैं तो उन भाईयों के लिये मेरी सलाह है कि दोस्तों आपको अभी से कोई अच्छी सी कोचिंग जॉइन कर लेनी चाहिए ताकि आपका अच्छा से बेस तैयार हो सके और एक बार सलेबस का बारीकी से विश्लेषण कर ले ताकि आप सभी सब्जेक्ट पर अपनी ताकि आप अपनी रणनीति अच्छे से तैयार कर सके और अगर आपके आसपास ऐसे कोई भाई बहन है जिनका पिछली सेकंड ग्रेड परीक्षा में चयन हुआ है तो निसंकोच आप उनसे सलाह ले ताकि वो आपको अच्छे से गाइड कर सके

दोस्तों आज की पोस्ट में इतना ही आगे मै आपको इसी तरह गाईड करता रहूंगा और जो मैथ्स, हिन्दी, उर्दू, विज्ञान, विषय के अभ्यर्थी हैं वो भी मेरे पेज से जुड़े रहे क्यूकि सभी विषयों के फ़र्स्ट पेपर का सलेबस एक ही है है और इन सब्जेक्ट के अभ्यर्थियों का फ़र्स्ट पेपर वीक होता है मै इस पेज पर आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करता रहूंगा ताकि आपकी ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकूँ अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी उपयोगी लगती है तो प्लीज मेरे page और पोस्ट को लाइक, फॉलो कमेंट करे ताकि नयी पोस्ट आने पर आने पर आपको नोटिफिकेशन प्राप्त हो जाये

राजस्थान में चित्रकला

दोस्तो आज हम राजस्थान की चित्रकला के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे क्यूकि दोस्तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है और राजस्थान पुलिस और वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के सलेबस में भी शामिल हैं
                     राजस्थान मे चित्रकला
महाराणा कुंभा को राजस्थानी चित्रकला का जनक माना जाता है आनंद कुमार स्वामी ने अपनी पुस्तक  'राजपूत पेंटिंग' में सबसे पहले राजस्थानी चित्रकला(का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन) शब्द का प्रयोग किया राजस्थानी चित्रकला के सबसे प्राचीन चित्रित ग्रंथ अधोर्नियुक्ति व दस वैकल्पिक सूत्र माने जाते हैं दोनों उपरोक्त ग्रंथ वर्तमान में जैसलमेर ग्रंथ भंडार में रखे हुए हैं राजस्थानी चित्रशैली पर गुजरात शैली का प्रभाव है
राजस्थान की चित्र शैली को चार विभिन्न स्कूल मे विभाजित किया गया है
1. मेवाड़ चित्र शैली
2. मारवाड़ चित्र शैली
3. ढूढाँड चित्र शैली
4. हाड़ौती चित्र शैली
                      मेवाड़ चित्र शैली
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विषय - कृष्ण भक्ति      नायिका - विप्रलब्धा
रंग - नीला और हरा      नायिका का नेत्र - मीन सदृश्य
पेड - कदम्ब
(अ) उदयपुर चित्र शैली - 
- मेवाड़ चित्र शैली का प्रथम चित्रित ग्रंथ श्रावक प्रतिकर्मण सुत्र चुर्णि को माना जाता है जिसके चित्र कमल चंद के द्वारा बनाये गये 
- मोकल के काल मे सुपारश्ववनाथ चरित्रम नामक चित्रित ग्रंथ की रचना हुई जिसके चित्र हीरा नंद के द्वारा बनाए गए वर्तमान में ये दोनों ग्रंथ उदयपुर में सरस्वती संग्रहालय में रखे गए हैं 
- मेवाड़ चित्र शैली के प्रथम चित्रकार श्रृंगधर थे 
- जगत सिंह का काल उदयपुर चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है इनके काल मे राग माला, रसिक प्रिया, व भगववत पुराण नामक ग्रंथों पर चित्र बनाये गये
- जगत सिंह के काल मे साहिब दीन व मनोहर नामक चित्रकार हुए
- संग्राम सिंह 2 के काल मे विष्णु शर्मा की पुस्तक पंचतंत्र की कहानियों पर चित्र बनाये गये संग्राम सिंह 2 के काल में नुरूदीन नामक चित्रकार द्वारा चित्र बनाये गये

(ब) नाथद्वारा/पिछवाई चित्र शैली -
- राजसिंह का काल स्वर्णिम काल
-इस चित्र शैली में एकादशी महात्म्य व मालती माधव नामक ग्रंथों पर चित्र बनाये गये नाथद्वारा चित्र शैली में कमला व इलाइची नामक महिला चितेरियो द्वारा भी चित्र बनाये गये इस शैली में भगवान श्रीकृष्ण व माता यशोदा के चित्र भी बनाये गये

(स) चावण्ड चित्र शैली -
- अमरसिंह का काल इस चित्र शैली का स्वर्ण काल माना जाता है
- निसार दीन के द्वारा अमरसिंह के काल में राग माला नामक चित्र बनाया गया
- चावण्ड चित्र शैली की सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति ढोला मारू को माना जाता है


(द) देवगढ चित्र शैली -
- इस शैली में चावण्ड और मारवाड़ चित्र शैली का प्रभाव दिखाई देता है द्वारिका दास के द्वारा देवगढ ठिकाने की स्थापना की गई और इन्ही के काल में इस चित्र शैली का विकास हुआ
- बैजनाथ व कमला इस चित्र शैली के प्रमुख चित्र कार माने जाते हैं
-  कलीला व दमना जैसी प्रसिद्ध कृतियां इसी शैली में है
- प्रमुख कलाकार साहिब दीन, मनोहर, कृपा राम, जीवा


                           मुख्य तथ्य
 श्रृंगधर - मेवाड़ चित्र शैली का प्रथम चित्र कार
साहिब दीन - राग माला सेट, शूकर क्षेत्र महात्म्य
निसार दीन - चावण्ड शैली में राग माला

दोस्तो आने वाली अगली पोस्ट में मै राजस्थान की चित्र कला के संपूर्ण टॉपिक को कवर करने की कोशिश करूँगा और अंत में इस टॉपिक से संबंधित महत्वपूर्ण क्वेश्चन भी शेयर करूंगा ताकि ये आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सके अतः आपसे निवेदन है कि आप अगर आपको मेरी पोस्ट अच्छी लगती है तो कृपया करके इसे शेयर और लाइक जरूर करे 

Saturday, 14 April 2018

सलेबस का महत्व

दोस्तो आप सभी का एजुकेशन हब पर स्वागत है आज हम सलेबस के महत्व के बारे में चर्चा करेंगे दोस्तो बिना सलेबस की जानकारी के किसी भी कॉम्पिटिशन एक्जाम की तैयारी करना बहुत मुश्किल होता है क्यूकि जब तक हम सलेबस का विस्तृत अध्ययन नहीं करेंगे तब तक हमें पता ही नहीं चलेगा कि हमें इस एक्जाम की तैयारी के लिए क्या पढ़ना है और क्या नहीं दोस्तो आज के समय में एक्जाम लेने वाली हर एजेंसी अपना विस्तृत सलेबस जारी करती है जिसमें विषयवार टॉपिक का विश्लेषण होता है जिससे हमारे लिये उस एक्जाम की तैयारी करना आसान हो जाता है दोस्तो मै ऐसे कई भाइयों से मिला हूँ जो कॉम्पिटिशन एक्जाम की तैयारी कर रहे होते हैं लेकिन जब मैं उनसे उस एक्जाम के सलेबस के बारे में पूछता हूँ तो वो बोलते हैं भाई इंग्लिश, मैथ्स, जीके, और रीजनिंग है बस, यार बड़ी हंसी आती है उनकी बात सुनकर दोस्तो सलेबस अपने आप में बहुत बड़ी अवधारणा है इसमे विषयों के साथ साथ उन विषयों के टॉपिक भी होते हैं अब भाइयों किसी एक्जाम के सलेबस में इतिहास है तो क्या पूरा इतिहास पढ़ोगे अतः जो भाई भले ही किसी भी एक्जाम की तैयारी कर रहा हो वो अपने एक्जाम से सम्बंधित सलेबस का एक बार विस्तृत अध्ययन कर ले और जो जो टॉपिक उसके क्लियर होते जाये वो उन्हे हाइलाइट कर ले ताकि एक बार सभी टॉपिक क्लियर होने के बाद उनका अच्छे से रिवीजन कर सके 
दोस्तो आप एजुकेशन हब से जुड़े रहे मै यहाँ कॉम्पिटिशन एक्जाम से संबंधित जानकारी पोस्ट करता रहूंगा और आने वाले दिनों में राजस्थान पुलिस कांस्टेबल, वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा 2018 जीके और सोशल साईंस से संबंधित पूरा स्टडी मैटर भी उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करूँगा अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी और उपयोगी लगती है तो प्लीज इसे लाइक कमेंट और शेयर करें

Friday, 13 April 2018

सफलता की प्रथम सीढ़ी

अगर आप अपने किसी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको पूरे मन से बिना वक्त गवाए उस कार्य को पूरा करने में जुट जाना चाहिए अगर आप किसी कॉम्पिटिशन एक्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आपका सबसे पहला कदम होना चाहिए उस एग्ज़ाम के लिए ऐसी रणनीति बनाये जो आपकी सफलता मे सहायक सिद्ध हो सके क्यूकि बिना योजना व रणनीति बनाए हम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं अगर हमने एक अच्छी योजना बना ली है तो हम आधी सफलता तो वैसे ही प्राप्त कर लेते हैं और उस योजना को पूरा करने के लिए हमें पूरे मन और इच्छाशक्ति से लग जाना चाहिए अत दोस्तो मै आज आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहा हूँ जिससे आप किसी भी एक्जाम मे सफलता प्राप्त कर सके

1. सम्बंधित एक्जाम के सलेबस का गहराई से अध्ययन
2. सलेबस के अनुसार अपना स्टडी मैटर तैयार करना
3. पिछले एक्जाम के क्वेश्चन पेपर का गहराई से      अध्ययन
4. बिन्दुवार नोट्स तैयार करना
5. महत्वपूर्ण लाइंस को हाइलाइट करना
6. रीड, रिपीट, रिवीजन
7. तय समयसीमा मे मॉडल पेपर हल करने का अभ्यास करें

Thursday, 12 April 2018

सुनहरा मौका

दोस्तो राजस्थान में 2018 चुनावों की वजह से बम्पर भर्तियों की शुरुआत हो चुकी है और बेरोजगारों के लिए यह एक अच्छी खबर है राजस्थान पुलिस, वरिष्ठ अध्यापक, राजस्थान प्रशासनिक सेवा और अन्य कई भर्तियों की घोषणा की जा चुकी है और आने वाले कुछ दिनों में पटवारी,वनरक्षक के पदों पर भी नयी वेकेंसी आने की पूरी संभावना है दोस्तो मेरा चयन वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा 2016 मे हो गया है अत मैंने निश्चय किया है कि मै आप सभी भाईयो की हर संभव सहायता करूंगा