Monday, 16 April 2018

राजस्थान में चित्रकला पार्ट - 2

दोस्तों आपने एजुकेशन अड्डा की पिछली पोस्ट में राजस्थान की चित्रकला के बारे में पढ़ा जिसमे हमने मेवाड़ चित्र शैली के बारे में अध्ययन किया आज हम इसी टॉपिक के अन्दर मारवाड़ चित्र शैली का अध्ययन करेंगे चलो शुरुआत करते हैं

                         मारवाड़ चित्र शैली
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प्रमुख रँग - लाल, पीला, भूरा    नायिका - प्रसोषित पातिका
                                                         (पति विदेश में)
पेड - आम                            नायिका नेत्र - बादामी
प्रमुख पशु - ऊंट

- राव जोधा के काल में मारवाड़ चित्र शैली का सबसे अधिक विकास हुआ जबकि राव माल देव के काल में सबसे अधिक चित्र बनाये गये
-मारवाड़ चित्र शैली का प्रमुख चित्रित ग्रंथ 'उतराध्यान सूत्र को माना जाता है
- अमर दास, छज्जु भाटी, व किशन दास इस चित्र शैली के प्रमुख चित्रकार माने जाते हैं
- पृथ्वी राज राठौड़ कृत वेलि कृष्ण रुक्मिणी री के चित्र मारवाड़ चित्र शैली में बनाये गये
- यह शैली नाथ सम्प्रदाय से संबंधित है


(अ) बीकानेर चित्र शैली -
-राय सिंह के काल में इस चित्र शैली का विकास हुआ
- अनूप सिंह का काल इस चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है
- इस शैली के चित्रकारों ने अपने बनाये गये चित्रों में अपना नाम व चित्र बनाने की तिथि का अंकन किया है

उस्ताँकला- ऊँट के खाल पर  की जाने वाली चित्रकारी को उस्ताँकला कहा जाता है और इस कला के कलाकार को उस्ताद कहा जाता है हिसामुदीन, चन्दू व मुकुंद लाल इस कला के कलाकार माने जाते हैं

(ब) बणी ठणी / किशनगढ चित्र शैली -
अन्य नाम - वेसरि (नाक का आभूषण)
              - वसली      नायिका का प्रकार - स्वाधीन भर्तृका
              - कागजी     नायिका नेत्र - कमान नुमा
              - काँगडा
रँग - गुलाबी और सफेद
     - भँवरे का चित्र

- इस चित्र शैली का मूल चित्र मोरध्वज निहालचंद ने बनाया था
- एरिक डिकिसंन ने इसे भारत की मोनालिसा कहा है
- भारत सरकार द्वारा 1972 में बणी ठणी के चित्र पर 20 पैसे का डाक टिकट जारी किया
- नागरी दास इस शैली का प्रमुख चित्रकार माना जाता है
- किशन गढ चित्र शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय डॉ एरिक डिकिसंन व डॉ फैय्याज अली को जाता है

(स) जैसलमेर चित्र शैली -
- लोद्रवा की राजकुमारी मूमल के चित्र इसी शैली में बनाये गये
- मूलराज 2 का काल इस चित्र शैली का स्वर्णिम काल माना जाता है

- चोखा महल (जोधपुर) मारवाड़ चित्र शैली व लोक जन जीवन के चित्रों की अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध है

दोस्तों आज की पोस्ट में इतना ही आगे आने वाली पोस्ट में हम इसके अगले भागों का अध्ययन करेंगे दोस्तों अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगती है तो प्लीज मेरे फेसबुक पेज को लाइक करे कमेंट करे, शेयर करे पेज का लिंक नीचे दिया गया है

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