गुर्जर प्रतिहार(700-1200 AD)
- गुर्जरात्रा प्रदेश में रहने के कारण गुर्जर कहलाये विदेशी आक्रमण के समय द्वारपाल की भूमिका निभाई इस कारण प्रतिहार कहलाये
- गुर्जरात्रा प्रदेश में रहने के कारण गुर्जर कहलाये विदेशी आक्रमण के समय द्वारपाल की भूमिका निभाई इस कारण प्रतिहार कहलाये
उत्पति -
- पृथ्वी राज रासौ के अनुसार गुरु वसिष्ठ के अग्नि कुंड से
- हेँनसांग के अनुसार क्षत्रिय
- जेम्स टाँड के अनुसार खाजर नामक जाति से
मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में इन्हे राम के भाई लक्ष्मण का अवतार बताया गया है
- डॉ rc मजूमदार के गुर्जर एक भौगोलिक शब्द था जबकि प्रतिहार एक जाति से संबंधित
- पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में पहली बार गुर्जर शब्द का उल्लेख मिलता है
- मुहणौत नैणसी के अनुसार गुर्जर प्रतिहारो की कुल 26 शाखा थी जिनमे दो महत्वपूर्ण थी
1. मंडोर के गुर्जर प्रतिहार
2. भीन माल के गुर्जर प्रतिहार
- जोधपुर से प्राप्त घटियाला शिलालेख मे हरिश्चन्द्र को गुर्जर प्रतिहारो का आदि पुरुष और संस्थापक माना है
गुर्जर प्रतिहारो के काल को राजपूत काल या सामंत काल भी कहा जाता है
- घटियाला शिलालेख के अनुसार गुर्जर प्रतिहारो का संस्थापक हरिश्चंद्र(रोहलध्दि) था इन्होंने दो विवाह किए थे एक ब्राह्मण स्त्री से व दूसरा क्षत्रिय (भद्रा) से इनके चार पुत्र हुए रज्जिल, दह, भोगभट्ट, कदक
- रज्जिल ने मंडोर को अपनी राजधानी बनाया रज्जिल के दरबारी ब्राह्मण नरहरि ने रज्जिल को राजा की उपाधि दी गयी थी रज्जिल के द्वारा राजसुय यज्ञ भी किया गया था रज्जिल के बाद नरभट्ट प्रतिहार शासक बना इसे गुरु और ब्राह्मणों का संरक्षक कहा जाता है हेनसांग के यात्रा वृत्तांत से नरभट्ट के बारे में जानकारी प्राप्त होती है हेनसांग ने नरभट्ट को पेल्लो पल्ली (ब्राह्मणों व गुरुओं का संरक्षक) कहा है
त्रिपक्षीय संघर्ष -
यह संघर्ष प्रतिहार, पाल और राष्टट्रकुटो के बीच हुआ यह संघर्ष कन्नौज पर अधिकार करने के लिए प्रारम्भ हुआ
- प्रतिहार शासक वत्स राज ने सबसे पहले कन्नौज पर आक्रमण किया उस समय वहां का शासक इन्दद्रायुध था कन्नौज अंतिम रूप से गुर्जर प्रतिहारो को प्राप्त हुआ
कन्नौज - इन्दद्रायुध, चक्रायुध
प्रतिहार - नाग भट्ट 1,वत्स राज, नाग भट्ट 2,मिहिर भोज, महेन्द्र पाल 1,महिपाल 1,
पाल वंश - गोपाल, धर्म पाल, देव पाल
राष्ट्रकुट- दंतिदुर्ग, ध्रुव, गोविंद 3,कृष्ण 3, इन्द्र 3
No comments:
Post a Comment